जमानेभर के किस्सों का गवाह अगर कोई है, तो वो हैं किताबें । अगर पढ़ने का सिलसिला शुरू कर दिया जाए तो इनकी बातें ख़तम ही नहीं होती.. एक कारवाँ सा चल पड़ता है किस्सों का, कहानियों का । किताबें आपके किसी प्रश्न का उत्तर नहीं देतीं वरन् आपको उस कहानी में साक्षी की भाँति प्रस्तुत कर देंगी फिर ये निर्णय आप पर छोड़ देती हैं कि आप अनुभव क्या करते हैं..! और उस अनुभव से क्या सीखते हैं यह आप पर निर्भर है..। किताबें ही हैं जो आपको समय के पार पहुँचा देती हैं.. इससे दिलचस्प बात क्या होगी कि कहानी, किताब किसी भी समय की सुनाए, आपको उस काल, परिस्थिति में ज्यों का त्यों उतार देती है..। किताबें एक जगह बैठे बैठे कितने ही दिलचस्प स्थानों में पहुँचा देती हैं, और हम महसूस करते हैं कि हम उस स्थान में बैठ कर उस अमर कहानी का हिस्सा हैं । हाँ.. अमर कहानी ! क्योंकि जिस कहानी को किताबों ने आत्मसात कर लिया, फिर अमर हो जाती है वो कहानी । किताबें बारिश की पहली बूँदों के उस अभिनवपन को घर बैठे महसूस करा देती हैं.. जिसे आप कभी न कभी महसूस कर चुके होते हैं । उन्मुक्त आकाश में चाँद की सहचरी चाँदनी से नहला देती ह
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