ओम्कारेश्वर मंदिर से लावण्यमयी प्रकृति का सौंदर्य ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग जाने के बाद मेरे मन में मलाल रहा कि, मैं यहाँ वर्षाकाल या उसके अल्प उपरांत क्यों नहीं आया ? क्योंकि ग्रीष्म की तपन में जब अतींद्रिय अनुभूति है, तो जब प्रसूता प्रकृति अपने वत्सलता और सौभाग्य के वसंतावस्था में होती होंगी, तो वो परिदृश्य कितना मुग्धकारी होगा! कितना अतींद्रिय होगा, इसकी अनुभूति मात्र की जा सकती है । माँ नर्मदा से श्री ओम्कारेश्वर मंदिर और तिस पर या तो सभी तीर्थों के जल, या तीर्थराज के जल से अभिषेक यूँ प्रतीत होता है जैसे प्रभु स्वयंभू के शिखर पर स्थित चंद्रमा की दीप्ति और नवल हो गई हो ! या जैसे प्रकृति-सुता नर्मदा के साथ माँ गँगा का मिलन उन्हें पवित्रता की सीमा के पार ले गया हो । ये तो प्रभु की मर्जी थी कि बिना पूर्व-योजना के मैं इंदौर गया और वहाँ से ओम्कारेश्वर महादेव । हम कार से वहाँ गए थे । पहुँचने के बाद सबसे पहले स्नान करना था माँ नर्मदा में । हमें तो कोई जानकारी थी नहीं तो हम कहीं भी स्नान कर सकते थे किन्तु, महराज ( मिश्रा के जीजा) पहले भी आ चुके थे सो
This is blog of Vinay . Here you can read intresting and adventures topic .