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Showing posts from February, 2020

फरवरी- जिसमें होते हैं सूर्य के दो आयाम

इस समय, सूर्य के प्रकाश का रंग पिलछौंह् से श्वेत की ओर निरंतर अग्रसर है, यानी सूर्य देव उत्तरायण होने की ओर अग्रसर हैं, इस समय ठण्ड के विदा लेने और ग्रीष्म के स्वागत की उत्सुकता निरंतर बलवती हो रही है । मुझमें शुष्क और अलसाई साँझ को नग्न आंखों से देखने का कौतूहल बढ़ता जा रहा है । फरवरी मुझे प्रिय है । इसलिए नहीं, कि यह बसन्त का मौसम है । बल्कि इसलिए क्योंकि फरवरी एक ऐसा माह है- जिसमें सूर्य की हम दो छटाएँ देख सकते हैं, एक धूप दूसरा घाम। हम देख सकते हैं, सूर्य द्वारा अस्ताचल की अवस्थित को दक्षिण से पश्चिम की ओर खिसकाते हुए । मैं देख सकता हूँ अपनी आँखों से सूर्य को विदा ले कर जाते हुए, दूर क्षितिज तक । क्योंकि विदा ही तो अंतिम सत्य है । हम सभी मिलते हैं और एक वक्त बाद विदा हो जाते हैं । इसलिए विदा प्रिय है मुझे, क्योंकि किसी के चले जाने से जो व्यक्ति में एक खालीपन उभरता है, वह वास्तविक होता है, बनावटी नहीं । यह धूप से घाम होने की कथा है, विवरण है । धूप, सूर्य का वह प्रकाश है जो कोमल है । जिसके स्नेह-लेप के लिए शीत ऋतु में जाने कितने जीव लालायित रहते हैं, स्वयं मानव भी । वस्तुतः ‛ध