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Showing posts from February, 2018

नशा करना ही नशा करना है लेकिन..,

नशा करना ही नशा करना है, लेकिन.. __________________________________ उमर खैयाम तो सदियों पहले ही अन्योक्ति में नशा का उल्लेख कर चुका है, तभी तो उसने संसार को मयकदा, व्यक्ति को शराबी (मयकश), और सांसारिक प्रसाद को मय बताया । यदि हम और गहरे जाएँ तो सांसारिक प्रसाद ईश्वरीय प्रसाद में परिणित हो जाता है.. और ये बातें अंगूर की शराबों से ऊपर उठ कर एक पराभौतिक, प्राकृतिक नशे का संकेत करती हैं । कोई व्यक्ति किसी भी नशे में नहीं बहकता वरन वह नशे के नशे में बहकता है.. मैंने अनुभव किया कि यदि नशे में होते हुए मानसिक तल पर होश रखा जाए , एक दृष्टा बना जाए तो एक नया और अचंभित करता अनुभव प्राप्त होता है , फिर आप एक बेहतरीन श्रोता बन जाते हैं, सारे प्रश्न मिट जाते हैं कोई प्रश्न शेष ही नहीं बचता । यही मन के समर्पण की सूचना है .... तब आप स्वयं को प्रकृति को सौंप चुके होते हैं.. मन खाली हो जाता है तब प्रकृति भरती है आपके खालीपन को ईश्वरत्व से । © Vinay S Tiwari

शबनम, चाँदनी और तुम

अभी-अभी तो शबनम घास की बाहों में ठहरी है.. और अभी पूरा चाँद भी निकल आया है , और देखो.. इसकी चांदनी इन ओस की बूंदों में ऐसे चमक रही है जैसे तुम्हारे आने की खुशी में नैसर्ग ने हजारों दीपक जला रखे हों... तुम्हारे वनवास से लौटने की खुशी में, हाँ.. इन्हीं शबनमी दीपकों के दरम्यां बैठा हूँ मैं ! तेरी झूठी इन्तज़ारी में .......... # और_तुम_आओ Vinay S Tiwari
है धन्य भारतवर्ष हर युग जन्मती है पुरुष ऐसे , अपने समय के पृष्ठ में हैं प्राण फूंके पुरुष ऐसे , फिर एक बार जब भारती में घोर संकट आया था..! तब यही सृजनाढ्य धरती 'चणक-पुत्र' उगाया था । हर तर्क जिसके मति बदल दे, वाक दुश्मन गति बदल दे ; सोच ऐसी थी जो ढलते सूर्य की स्थिति बदल दे .., आँख ऐसी थी जो खोजे चंद्रगुप्त में एक राजन ! जिनका फेंका एक तिनका राज-पाठ हटाया था... जिसने कहा था दुश्मनो को, एहसास बस इतना दिला दो ! विजय पर वो बढ़ रहे हैं, अंत में पांसा पलट दो ! कम शक्ति से,कम हानि से,कम जन गँवाए ...! कमजोरियों पर वार करके, शत्रु को दिग्भ्रमित करके ; विजय श्री का स्वाद पाएँ । हम फिर प्रतीक्षित हैं नियंता भेज दे गुरु श्रेष्ठ मानव, फिर वही तूफान दे जो राष्ट्र अखण्ड बनाया था । -- विनय एस तिवारी