Skip to main content

Posts

Showing posts from September, 2018

शिक्षक दिवस

हर पूर्ववर्ती वर्ष की तरह सामयिक वर्ष में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मानते हैं और खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं ,ऐसे शिक्षकों से शिक्षा प्राप्त कर जिनकी शिक्षण पद्धति साक्षरता से एक कदम आगे बढ़ कर विद्यार्थियों को शिक्षित करने की है । उनका यह कदम अत्यंत महत्वपूर्ण है भारत के शैक्षिणिक विकास के लिए । किन्तु, क्या हम एक कदम और आगे नहीं बढ़ सकते ? क्या हम लोगों में पुस्तकें पढ़ने की अभिरूचि पैदा नहीं कर सकते ? मैंने सुना है रूस में हर गांव में पब्लिक लाइब्रेरी है जिसमें जब भी लोग काम से फुर्सत होते हैं तो जा कर अध्ययन करते हैं...। और हमारे यहाँ गांव में तो दूर शहरों तक में लोग काम के बाद अपना सारा समय हास-परिहास और उपहास में गुजारते हैं । मैं रीवा के सेंट्रल लाइब्रेरी में अपने विद्यालयीन दिनों में जाता था और मुझे इस बात से आश्चर्य होता था कि लोग उसका नाम तक नहीं जानते थे ..! एक जर्जर भवन जिस पर छोटे से उपेक्षित पड़े बोर्ड पर 'केंद्रीय पुस्तकालय ' लिखा था जिसके केन् और पुस्त मिट चुका था । और उसमें जाते भी चन्द गिने चुने लोग थे । बहुधा उसके कर्मचारी ही पाठक भी हुआ करते थे ।