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Showing posts from March, 2019

ग्रीष्म ऋतु की रात्रि का आकाश

                 ग्रीष्म ऋतु की रात्रि का दृश्य ग्रीष्म ऋतु शब्द आते ही उमड़ पड़ती है एक हवा यादों की । ऐसे लगता है जैसे एक-एक याद हवा बनकर किसी झील के पानी को छूते हुए मुझ तक आ रही है क्योंकि मैं महसूस कर रहा हूँ यादों में ठंडक । मुझे सबसे पहले याद आती हैं छुटपन में ग्रीष्म की छुट्टियों में शहर से घर आगमन, फिर ग्रीष्म में ही कहीं 'टूर' पर  दोस्तों संग बिताई गई रातें और श्रृंखला बन पड़ती है यादों की । तो मैं कहने जा रहा था कि ग्रीष्म ऋतु की रात्रि का आकाश इतना आकर्षक होता है कि लगभग हर कोई आकर्षित होता ही है भले ही कौतूहलवश या फिर सौंदर्यवश । ग्रीष्म की रात्रि का आकाश अक्सर साफ होता है यदा कदा कुछ छुट-पुट बादल मिल जाते हैं किन्तु बहुधा साफ ही होता है तिस पर चाँदनी रात का चाँद और उसके बेहद करीब रहने वाला सितारा  उस पर चार चाँद लगा देते हैं । सितारा चाँद से इतना दूर होता है जितना किसी छोटे लड़के का सौंदर्य और उसके डिठौने की दूरी, इतना कि किताब के शब्द और पाठक के आनंद के बीच की दूरी, इतना कि किसी प्रेमिका के सौंदर्य और उसके दाएँ गाल के ठीक नीचे बना तिल । जो चाँद के सौंदर्यता