दिनाँक 07 मार्च 2020 मे रे अतिप्रिय कवि सच्चिदानंद हीरानंद वात्सायन ‛अज्ञेय’ जी का जन्म आज ही तो हुआ था । ‛एक बूँद सहसा उछली, अरे यायावर रहेगा याद?, शेखर-एक जीवनी जैसी अनेकेन रचनाओं का उद्भव अज्ञेय रूपी हिमालय से ही तो हुआ है । बहुरंगी और अद्भुत व्यक्तित्व-जिसके अंदर एक घुमक्कड़, कवि, दार्शनिक, अपने शब्दों से चित्र बनाने की अद्भुत कला के स्वामी विद्यमान थे, जिनकी रचनाओं में दार्शनिक विचारशीलता, समीक्षा, संस्कृति की छाप को समेटे अभी भी चल रही हैं । अज्ञेय जी की रचना- अरे यायावर! रहेगा याद? केवल यात्रा विवरण नहीं है, वरन वह तो भारत के हर भौगोलिक क्षेत्र का सांस्कृतिक, और दार्शनिक विवेचना है, जिसका हर भारतीय को अध्ययन करना चाहिए । इसीलिए अज्ञेय मुझे प्रिय हैं, क्योंकि उनके माध्यम से आप केवल भौगोलिक यात्रा नहीं करते, बल्कि समूची संस्कृतियों की बहुरंगीयता को जीते हुए चलते हैं, फिर चाहे पूर्वोत्तर भारत का वर्णन हो, दक्षिण भारत का या फिर यूरोप का । अज्ञेय की रचनाओं और व्यक्तिगत जीवन में काफी तारतम्य था, यही कारण है कि विद्वानों का एक वर्ग मान
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